TCBT
वृक्षायुर्वेद कृषि तैयारी
हाई C:N रेशियो घोल
बनाने की विधि और उपयोग
उक्त सबको घोलकर जालीदार कपड़े से ढ़क्कर 11 दिन तक रखें तत्पश्चात सिंचाई के पानी में मिलाकर फसलों की जड़ों में जमीन पर जाने दें। और 20 लीटर उक्त हाई CIN रेशियो घोल को छानकर 200 लीटर पानी में मिलाकर फसलों पर स्प्रे करें।
💡 ज्यादा मात्रा में बनाना है तो
उक्त सामाग्रियों को उसी अनुपात में बढ़ाएं।
🌱 लाभ
इस घोल को जमीन में डालने से मिट्टी में कार्बन, नाईट्रोजन की मात्रा 14:1 की दर से बढती है, फसलों की जड़ों का तेजी से विकास होता है। सिंचाई के जल में मिलाकर इस घोल को चलाने से अगली सिंचाई की अवधि बढ़ जाती है। पौधों की पत्तियां हरी कच्च हो जाती है और पत्तियों की चौड़ाई भी बढ़ जाती है। मिट्टी में जीवाणुओं की मात्रा में बहुत वृद्धि होने लगती है।

जैव रसायन
⚠️ विशेषः मीठा जैव रसायन बनाने के लिए केवल मीठे फल लें। ऐसे ही खट्टा जैव रसायन बनाने के खट्टे फल, कड़वा जैव रसायन के लिए केवल कड़वे फल ही लेना है।

🔬 बनाने की विधि
पहले पानी में गुड़ डालकर घोल लें, फिर फलो को काटकर घोल में डाल दें। ड्रम को एयरटाइट बन्द कर दें, ड्रम के ऊपर बनाने का दिनांक लिख दें या पर्ची चिपका दें। ड्रम में गैस बने तो इतना ही ढक्कन खोलें की गैस निकल जाये (पहले सप्ताह विशेष ध्यान रखें) । 90 दिन में जैव रसायन तैयार हो जाता है। यदि इसे 21 दिन में बनाना है तो फलों को पानी के बजाए जीवाणु जल में मिलाएं, इसकी उपयोग अवधि 2 माह है। 90 दिन में बनने वाले जैव रसायन की उपयोग अवधि 3 साल है। बसर्त इसे छांव में रखें।
📋 उपयोग विधि
- ✓मिट्टी को मुलायम बनाने के लिए और फसलों के विकास हेतु हर बार सिंचाई के समय 200 लीटर जीवाणु जल में 10 लीटर जैव रसायन मिलाकर खेत में चलाएं।
- ✓जीवाणु बढ़ाने के लिए जीवाणु घोल में 1% की दर से मिलाएं।
- ✓फसलों के विकास के लिए 5 ml प्रति लीटर पानी की दर से मिलाकर छिड़काव करें एवं फलदार पेड़ पौधों में 1% की दर से छिड़काव करें।
- ✓समय से पहले फूल लाने के लिए एवं फल को झड़ने से रोकने के लिए खट्टा जैव रसायन 2 ml प्रति लीटर पानी की दर से छिडकाव करें (फलदार पेड़ पौधों में मात्रा 1% रखें)।
- ✓कीट आने के पूर्व या अमावस्या के पूर्व कड़वा जैव रसायन का फसलों पर 2 ml प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।
फसल घुट्टी
सबसे पहले 100 लीटर पानी में 10 किलो खली मिलाएं, खली को 10 मिनट तक फूलने दें और फिर इसमें 2 किलो बिना बुझा चूना मिलाएं और खली और चूना को घुलने दें फिर इसमें 5 किलो नमक मिलाएं, 8 से 10 घंटे में यह घोल तैयार हो जाता है, इस घोल का पीएच अधिक (छारिय) हो जाता है इसके छार को कम करने के लिए 10 लीटर राह जीवन ऊर्जा मिलाएं। और सिंचाई जल के साथ मिलाकर जमीन में जड़ों के आसपास जाने दें।
⭐ लाभ
खली से फास्फोरस, पोटाश, नाइट्रोजन, सल्फर जैसे तत्व एवं चूना से कैल्शियम और नमक से सोडियम पोटेशियम जैसे मिनरल्स प्राप्त होते हैं, जिसके कारण फसल में तुरंत चमक और ग्रोथ दिखनी शुरू हो जाती है।

सभी छह प्रकार के रसों की पूर्ण स्थिति वाद बढ़ाने वाला फार्मूला
● बनाने की विधि
छः लीटर छाछ में आधा किलो कच्चा आँवला कुचलकर या 20 ग्राम आँवला पाउडर मिलाकर 4-6 घण्टे तक छाँव में रखें, षडरस तैयार हो जाता है।
● उपयोग की विधि
- →तैयार षडरस को छानकर 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ फसल पर स्प्रे करें। सिंचाई जल के साथ फसलों की जड़ों में भी दे सकते हैं।
- →फसल में कल्से निकलते समय, फूल आने के पहले और दाना बनते समय अवश्य स्प्रे करे, उपज का स्वाद बहुत बढ़ जाता है। 3 प्रतिशत की दर से ही स्प्रे करना है।
- →षडरस का उपयोग बीजों पर छिड़ककर बीजोपचार के लिए भी उत्तम होता है।
अन्न द्रव्य रसायन

● बनाने की विधि
- ✓2 किलो चावल को पकाकर उसमें 500 ग्राम गुड़ मिलाकर मटके में भरकर मटके के मुंह को मिट्टी के ही ढक्कन से बंद करके किसी मीठे फलदार पेड़ के नीचे आधा गढ़ा कर 7 दिन रखें।
- ✓फिर मटके से चावल निकालकर 5 लीटर पानी डालकर पेस्ट बना लें, फिर इस पेस्ट को 200 लीटर पानी व 2 किलो गुड़ के घोल में डालकर 4 दिन रखें। तत्पश्चात फसलों की जड़ों में डालें।
- ✓हर पूर्णिमा के आसपास जमीन में सिंचाई जल के साथ जाने दें।
⭐ लाभ
इससे फसलों में सफेद जड़ बहुत तेजी से बढ़ती है। केला, पपीता और सब्जी वर्गीय फसलों की जड़ बहुत तेजी से बढ़ती है।
🚀 TCBT खेती की शुरूआत कैसे करें
- ✓सबसे अपने खेत ट्यूबवेल में एक वेंचूरी लगाएं।
- ✓वेंचूरी के पास 500-500 लीटर के दो ड्रम रखें।
- ✓एक ड्रम में हाई C:N रेशियो बनाना है और दूसरे ड्रम में ऊर्जा जल और फसल घुट्टी बनाना है। इन घोल में वेंचूरी का फुटबॉल डालकर सिंचाई के पानी में इन तरल घोल को फसल और मिट्टी के ऊपर धीरे-धीरे सिंचाई करना है।
- ✓अपने घर या खेत में प्रतिदिन ठीक सूर्योदय सूर्यास्त में अग्निहोत्र करना है और इसका भस्म व भू-निर्विषि भस्म मिलाकर ऊर्जा जल के रूप में फसल और जमीन में वेंचूरी के माध्यम से सिंचाई करना है।
- ✓प्रति एकड़ 100 लीटर मीठा जैव रसायन, 10 लीटर खट्टा जैव रसायन और एक लीटर कड़वा जैव रसायन बनाकर तैयार रखें।
- ✓TCBT- RAH खनिज भस्म किट बुलाकर भस्म रसायन बनाकर तैयार रखें। TCBT का कैलेण्डर और टीसीबीटी फार्मूला बुक, tcbtjaivikkisan.com से बुलाकर अध्यन करें एवं आवश्यक अन्य फार्मूले और उत्पाद बुलाकर रखें।
- ✓मिट्टी बहुत सख्त हो और मिट्टी में भूमि, वायु, अग्नि महाभूत घटे हो तो ऐसी भूमि का भूमि उपचार करके ही खेती करें। अन्यथा फसलों में कीट बीमारी आती ही रहेगी। और फसल बीमारियों के चक्र में उलझा ही रहेगा।
- ✓TCBT भूमि उपचार प्रक्रिया के बाद किसी भी प्रकार के फसल उत्पादन के लिए जुताई, निंदाई, गुड़ाई और रसायनिक या जैविक खादों की जरूरत नहीं पड़ती है।

जीवन निर्माण की चेतना पंचमहाभूतों में निहित है
🌏 पंचमहाभूतों ने सुक्ष्म स्तर की तीन दुनिया बनाई
- ◆ऊर्जा की दुनिया (तृण मात्राएं)
- ◆अणुओं की दुनिया (जड़ मात्राएं)
- ◆जीवाणुओं की दुनिया (चेतन मात्राएं)
सुक्ष्म स्तर की यह तीनों दुनिया ही दिखाई देने वाली भौतिक दुनिया को सदैव पोषित करती रहती है। यह तीनों दुनिया पंचमहाभूतों को सदैव शुद्ध, सजीव और संस्कारित करती है। प्रकृति को स्वंयपोषी-स्वयंविकासी- स्वंयपूर्ण करती रहती है।

पंचमहाभूतों की सीमाएं (मर्यादाएं)
यत् यत् पिण्डे- तत् तत् ब्रम्हाण्डे
भगवान कृष्ण ने श्रीमद् भगवत गीता में पंचमहाभूतों की इन सीमाओं को अपरा ऊर्जा कहा है, अर्थात अपरिवर्तित होने वाली ऊर्जा। जैसे ही यह ऊर्जा परिवर्तित होती है। त्रिदोष उत्पन्न हो जाते हैं और जीवन असंतुलित/ बीमार हो जाता है। टीसीबीटी ऊर्जा विज्ञान में अन्य अनुपात निम्नांकित हैं।



पंचमहाभूत संतुलन के उपाय

मूल ऊर्जा विज्ञान
प्रकृति के प्रत्येक जड़-चेतन तत्व—चाहे वह वस्तुएँ हों या जीव—सभी में पंचमहाभूतों का निश्चित अनुपात विद्यमान रहता है, ठीक उसी प्रकार मिट्टी, हवा और पानी में भी इन पाँच तत्वों का संतुलन निर्धारित होता है। इसी तत्वानुपात की अभिव्यक्ति हमें उनके रूप, रंग, गंध, स्वर और स्पर्श की सूक्ष्म तरंगों के माध्यम से दिखाई देती है।
गगन (आकाश) तत्व के भीतर भूमि तत्व प्रकाश के रूप में विद्यमान रहता है, और यदि आकाश में प्रकाश न हो तो वह केवल खाली स्पेस बनकर रह जाए। प्रकाश के फोटॉन कणों में भी रंग, गंध, स्वर और स्पर्श जैसी चारों तन्मात्राएँ अत्यंत सूक्ष्म तरंगों के रूप में उपस्थित रहती हैं, और आधुनिक विज्ञान ने फोटॉन में जिंक, आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम सहित लगभग 108 मिनरल्स की उपस्थिति को भी प्रमाणित किया है।
इसी प्रकार भूमि तत्व मिट्टी में खनिजों के रंग और गंध के माध्यम से प्रकट होता है—सल्फर का अपना विशिष्ट पीला रंग होता है, उसकी गंध हमारी नाक सबसे पहले पहचानती है, और फटाखों की गंध भी सल्फर की ही होती है। कंद-मूल फलों में जीभ का पहला स्वाद भी सल्फर से ही आता है; यदि किसी फल में स्वाद अधिक मिलता है तो समझना चाहिए कि उसमें सल्फर तत्व की मात्रा ज्यादा है।
मिर्च का तीखापन भी सल्फर की प्रधानता का परिणाम है—इसका रंग चटक, स्वाद तीखा, स्वर और स्पर्श भी तेज होते हैं, जो दर्शाता है कि हर खनिज तत्व में पाँचों तन्मात्राएँ मौजूद होती हैं, बस उनका अनुपात अलग-अलग होता है। पानी में भी पाँचों तन्मात्राएँ होती हैं, पर अनुपात के बदलने से उसकी अवस्था बदलती है—अग्नि तत्व कम हो जाए तो पानी बर्फ बन जाता है, अग्नि तत्व बढ़ जाए तो भाप बनती है।
इस सूक्ष्म क्वांटम ऊर्जा से पंचमहाभूतों के किसी भी तत्त्व की तन्मात्रा उत्पन्न की जा सकती है, और तन्मात्राओं को विभिन्न अनुपातों में जोड़कर किसी भी पदार्थ का निर्माण संभव हो जाता है—यही मूल सूक्ष्म ऊर्जा विज्ञान है।

