भूमि उपचार

मिट्टी को जीवित करने की TCBT पद्धति
इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए प्रति एकड़ मिट्टी में दो वर्ष की अवधि में निम्नांकित चीजें डालें।
मृदा आच्छादन के लिए अन्य खेत की 5 फुट गहराई तक की मिट्टी लेना है। 2 वर्ष की यह प्रक्रिया पूरी होते ही मिट्टी बहुत मुलायम हो जाती है। मिट्टी से परे वर्षों तक सोंधी महक आती है। मिट्टी खाने वाले केंचुए आ जाते हैं। मिट्टी की पानी सोखने की क्षमता बढ़ जाती है।
नोट- मिट्टी की भौतिक, रासायनिक परिस्थितियों के आधार पर परिवर्तन संभव है।
ऊर्जा जल

उपयोग विधि
200–200 ग्राम भस्म और फिटकरी दोनों को अच्छे से पीसकर, छानकर मिलाकर 200 लीटर पानी में मिलाना है। तीन बार तक एक-एक करके मुट्ठी में भस्म रखकर मुट्ठी को पानी में डुबोकर हाथ को घड़ी की दिशा में घुमाते हुए महामृत्युंजय मंत्र बोलते हुए भस्म को पानी से मिला देना है। ऊर्जा-जल तैयार हो जाएगा।
(द) कोई भी फफूंदनाशक या कीटनाशक प्लांट-एक्सट्रेक्ट में 20 प्रतिशत ऊर्जा-जल मिलाकर स्प्रे करने से परिणाम बढ़ जाता है।
सजीव जल

बनाने की विधि
किसी छांव के नीचे ड्रम या टैंक में सभी सामग्री को मिलाकर 7 दिनों तक रखें। इसके बाद घोलकर छान लें और तैयार घोल को एक एकड़ कृषि भूमि में डाल दें।
लाभ :- यह मिट्टी में फसल के मित्र जवाणुओं की संख्या को बढ़ाता है। उपयोग अवधि समय सीमा - 2 माह
जीवाणु जल
प्रथम चरण : मदर कल्चर
11 लीटर पानी में 10 ग्राम गुड़ डालकर अच्छी तरह उबालें। जब पानी 10 लीटर रह जाए, तो इसे उतारकर ठंडा होने दें। ठंडा होने पर इसमें सभी सातों प्रकार के कैप्सूल (1-1) डालें। फिर इसमें आधा लीटर TCBT App / RAH FPO से मंगाया गया जामुन डालें और मिश्रण को सूती कपड़े से ढककर साफ छायादार जगह में 7 दिन के लिए रख दें। 7 दिन में मदर कल्चर तैयार हो जाएगा। इसके बाद हर दिन इसमें उबला हुआ गुड़ पानी डालते रहें।
द्वितीय चरण: जीवाणु जल
बनाने की विधि
किसी ड्रम में 200 लीटर पानी डालें, इसमें 2 किलो उबले हुए आलू, 200 ग्राम गुड़, 2 लीटर मदर कल्चर और 2 लीटर छाछ मिलाएं। साथ में तुलसी के दो पत्ते डालकर मिश्रण को सूती कपड़े से अच्छे से ढक दें और 7 दिन के लिए रख दें। 7 दिन बाद जीवाणु जल तैयार हो जाएगा।
उपयोग विधि-
(अ) भूमि उपचार के लिए 200–400 लीटर जीवाणु जल को सिंचाई जल में मिलाकर प्रति एकड़ भूमि में डालें (अवधि: 1–2 वर्ष)।
(ब) अणु जल बनाने के लिए जीवाणु जल को 10% की दर से मिलाएं।
(स) हाई C:N रेशियो वाला घोल बनाने के लिए इसे 20% की दर से मिलाएं।
(द) यदि 90 दिन के बजाय 21 दिन में जव रसायन बनाना हो तो इसे 10% की दर से पानी में मिलाएं।
(ग) मदर कल्चर में उबला गुड़ पानी मिलाकर पुन: इस्माल कर सकते हैं।
उपयोग अवधि समय सीमा - 2 माह
पंचगव्य घोल
बनाने की विधि :-
सबसे पहले निम्नांकित तैयार करें:
अ) 5 किलो गाय के ताजे गोबर में आधा किलो गुड़ और आधा किलो घी मिलायें, छांव में कपड़े से ढककर रखें।
ब) सवा लीटर दधू को पकाकर ठण्ड़ा करके एक कप नारियल पानी मिलायें, छांव में कपड़े से ढ़ककर रखें।
स) सवा लीटर दही में एक पाव शहद और एक किलो पके के ले का गूदा मिलायें, छांव में कपड़े से ढ़ंककर रखें।
द) सवा लीटर उबाला हुआ गौमूत्र को छानकर काँच के बर्तन में भरकर धूप में रखें।
♦ सब मिश्रणों को पहले 48 घंटे अलग-अलग रखने के बाद, क्रम अनुसार अ + ब + स + द को मिलाएं। मिश्रण को ढंककर 15 दिन तक छांव में रखें और ध्यान रखें कि इसमें पानी न मिले। इस तैयार मिश्रण को छह माह तक सुरक्षित रखकर उपयोग किया जा सकता है।
उपयोग विधि-
उक्त पंचगव्य मिश्रण को 2% की दर से घोल बनाकर उसमें 200 ग्राम गुड़ मिलाएँ और 48 घंटे के लिए रखकर फसलों पर स्प्रे करें। यदि फसलों की जड़ों में ड्रेचिंग करनी हो, तो 3% का घोल तैयार करके वही प्रक्रिया अपनाएँ।
लाभ:-
इस मिश्रण में विभिन्न प्रकार के सूक्ष्म तत्व, मिनरल्स, विटामिन, प्रोटीन, एसिड्स, एंजाइम्स और जीवाणु मौजूद होते हैं, जो फसल को हरा-भरा, चमकदार और स्वादिष्ट बनाते हैं। इसे फसल पर 5–6 बार क्रांतिक अवस्था में स्प्रे करें या भूमि में डालें। इससे भूमि सजीव होती है और मक्खन जैसी मुलायम बन जाती है।
खनिज भस्म

विधि :
- 8 किलो समुद्री नमक को कू टकर इसमे उपरोक्त सभी चीजें मिला दें। फिर इन सब को मटके में भरना है। मटके को मिट्टी के ढक्कन से बन्द करके गीली मिट्टी से पक कर दें।
- फिर मटके के आकार का गड्डा खोदना है और गड्ढे में गोबर के सूखे कं डे (उपले) रखना है। फिर मटके को गड्ढे में रखना हैफिर इस मटके के चारो ओर कं डे और लकड़ी रखना और इन कण्डों को जलाना है। ये कं डे थोड़ा जल जाएं तब उसके बीच में धान के भूसे को मिला दें या अन्य चीजों मिला दें । उसके बाद हरे चारे से ऊपर ढ़कना है, ताकि कण्डों की आंच से मिश्रित चीजे पक जाएं । 4 घंटे में खनिज भस्म पककर तयार हो जाता ह।
उपयोग विधि :-
200 लीटर पानी में 500 ग्राम खनिज भस्म, 10 लीटर जीवाणु घोल और 500 ग्राम गुड़ मिलाकर अच्छी तरह घोलें। इस मिश्रण को ढककर चार दिन तक छांव में रखें। इसके बाद तैयार घोल को फसलों पर स्प्रे करें या सिंचाई जल के साथ जमीन में प्रवाहित कर दें।
उपयोग अवधि समय सीमा - 3 साल
जैव रसायन

विशेष:-
मीठा जैव रसायन बनाने के लिए के वल मीठे फल लें। ऐसे ही खट्टा जैव रसायन बनाने के खट्टे फल, कड़वा जैव रसायन के लिए के वल कड़वे फल ही लेना है।
बनाने की विधि -
सबसे पहले पानी में गुड़ मिलाकर घोल तैयार करें, फिर उसमें कटे हुए फल डाल दें। इसके बाद ड्रम को पूरी तरह एयरटाइट बंद कर दें और उस पर बनाने की तारीख लिख दें या पर्ची चिपका दें। प्रारंभिक एक सप्ताह ड्रम में गैस बनने पर ढक्कन हल्का सा खोलकर गैस बाहर निकलने दें। लगभग 90 दिनों में यह जव रसायन तैयार हो जाता है और इसकी उपयोग अवधि 3 वर्ष रहती है, बशर्ते इसे छांव में रखा जाए। यदि आप इसे 21 दिन में तैयार करना चाहते हैं, तो फलों को पानी की जगह जीवाणु जल में मिलाएं; इस स्थिति में इसकी उपयोग अवधि केवल 2 महीने होती है।
उपयोग विधि
(अ) मिट्टी को मुलायम बनाने और फसल विकास के लिए प्रत्येक सिंचाई में 200 लीटर जीवाणु जल में 10 लीटर जव-रसायन मिलाकर खेत में प्रवाहित करें।
(ब) जीवाणु-वृद्धि हेतु जीवाणु घोल में जव-रसायन को 1% की दर से शामिल करें।
(स) फसल विकास के लिए 5 ml प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें तथा फलदार पौधों में 1% की दर से छिड़काव करें।
(द) समय से पहले फूल आने तथा फल झड़ने से बचाने के लिए खट्टा जव-रसायन 2 ml प्रति लीटर पानी में घोलकर स्प्रे करें, और फलदार पौधों के लिए मात्रा 1% रखें।
(ई) कीट-नियंत्रण हेतु कीट आने से पहले या अमावस्या के पूर्व कड़वा जव-रसायन 2 ml प्रति लीटर पानी में मिलाकर फसल पर स्प्रे करें।
षडरस
सभी छह प्रकार के रसों की पूर्ति कर स् ूर्ति वाद बढ़ाने वाला फार्मूला
बनाने की विधि
- छः लीटर छाछ में 20 ग्राम आँवला पाउडर मिलाएँ , अच्छे से हिलाकर मिश्रण करें। 4-6 घण् तक छाँव में रखे रह टे ने दे, षडरस तैयार हो जाता है।
उपयोग की विधि
तैयार षडरस को छानकर 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ फसल पर स्प्रे करें, या सिंचाई जल के साथ फसलों की जड़ों में भी दे सकते हैं। फसल में कंस निकलते समय, फूल आने से पहले और दाना बनते समय स्प्रे अवश्य करें, इससे उपज का स्वाद बहुत बढ़ जाता है। स्प्रे हमेशा 3 प्रतिशत की दर से ही करना है। साथ ही, षडरस बीजों पर छिड़ककर बीजोपचार के लिए भी अत्यंत प्रभावी होता है।
प्रयोग अवधि समय सीमा - 1 सप्ताह

अणु जल
फसल का सम्पूर्ण भोजन

उपयोग विधि
सबको मिलाकर 4 दिन तक ढँककर फरमेंट होने के लिए रख दें, फिर छानकर 100 लीटर पानी मिलाकर फसलों पर स्प्रे करें। इस घोल में RAH फफूंद भक्षक और RAH कीट भक्षक भी मिलाए जा सकते हैं। इससे विभिन्न आवश्यक खनिज तत्वों की पूर्ति होती है, पौधों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और फसल निरोगी, बढ़िया स्वाद वाली तथा चमकदार रूप में तैयार होती है।
प्रयोग अवधि समय सीमा - 2 माह
फसल घुट्टी

बनाने की विधि
सबसे पहले 100 लीटर पानी में 10 किलो खली मिलाएं और उसे 10 मिनट तक फूलने दें। इसके बाद इसमें 2 किलो बिना बुझा चूना डालें और अच्छी तरह घुलने दें। फिर 5 किलो नमक और 1 किलो शुद्ध लाल फिटकरी मिलाएं। अब इसमें 1 लीटर जीवन द्रव्य डालकर अच्छी तरह मिक्स करें। लगभग 8–10 घंटे में यह घोल तैयार हो जाएगा। तैयार होने पर इसे सिंचाई जल के साथ मिलाकर खेत में पौधों की जड़ों के आसपास प्रवाहित करें।
प्रयोग अवधि समय सीमा - 1 सप्ताह
लाभ-
खली से फास्फोरस, पोटाश, नाइट्रोजन और सल्फर जैसे आवश्यक तत्व प्राप्त होते हैं, वहीं चूने से कैल्शियम तथा नमक से सोडियम-पोटेशियम जैसे महत्वपूर्ण मिनरल्स मिलते हैं। इन्हीं तत्वों के संतुलित संयोजन से फसल में तुरंत हरियाली, चमक और तेज़ ग्रोथ दिखाई देने लगती है।
अन्न द्रव्य रसायन

बनाने की विधि
- 2 किलो चावल को पकाकर उसमें 200 ग्राम गुड़ िमलाकर मटके में भरकर मटके के मुंह को मिट्टी के ही ढक्कन से बंद करके किसी मीठे फलदार पेड़ के नीचे आधा गढ़ा कर 7 दिन रखें।
- फिर मटके से चावल निकालकर 5 लीटर पानी डालकर पेस्ट बना लें, फिर इस पेस्ट को 200 लीटर पानी व 200 ग्राम गुड़ और 2 किलो उबल आलू मसलकर घोल में डालकर 4 दिन रखें। तत्पश्चात फसलों की जड़ों में डालें।
- हर पूर्णिमा के आसपास जमीन में सिंचाई जल के साथ जाने दें।
लाभ
- इससे फसलों में सफे द जड़ बहुत तेजी से बढ़ती है। के ला, पपीता और सब्जी वर्गीय फसलों की जड़़ बहुत तेजी से बढ़ती है।
प्रयोग अवधि समय सीमा - 1 माह
छाछ द्रव्य रसायन
बनाने एवं उपयोग की विधि
सबसे पहले 6 लीटर छाछ में 600 ग्राम गुड़ मिलाकर इसे किसी एयरटाइट डिब्बे में बंद करके 21 दिनों तक सुरक्षित स्थान पर रख दें। निर्धारित समय बीतने पर छाछ का रंग हल्का पीला हो जाएगा, जो इसके तैयार होने का संकेत है। अब 100 ml लौंग का तेल (यदि उपलब्ध न हो तो इसे TCBT App या RAH FPO की वेबसाइट से भी प्राप्त किया जा सकता है) और 10 ग्राम फिटकरी को अच्छी तरह घोटकर आपस में मिलाएं। इस मिश्रण को पहले से तैयार हल्के पीले छाछ में डालकर घोल लें। इस प्रकार छाछ द्रव्य रसायन तैयार हो जाता है। तैयार रसायन को 200 लीटर पानी में मिलाकर एक एकड़ फसल पर स्प्रे करें। यह द्रव्य रसायन तैयार होने के बाद 6 माह तक सुरक्षित रखकर उपयोग किया जा सकता है।
छाछ द्रव्य रसायन एक अत्यंत प्रभावी वायरोसाइड है जो वायरसजनित रोगों को समाप्त करने में उत्कृष्ट परिणाम देता है। जब इसमें 20 प्रतिशत ऊर्जा जल और 20 प्रतिशत अणु जल मिलाकर फसलों पर स्प्रे किया जाता है तो विभिन्न प्रकार के फंगस, वायरस और अन्य रोगकारक सूक्ष्मजीव नष्ट हो जाते हैं। इससे पौधों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, फसल में तेज़ विकास होता है और पौधे अधिक स्वस्थ, हरे-भरे तथा ऊर्जावान दिखाई देते हैं।
3 जी/4जी कटिंग

बहुत से पौधों में फल मुख्य रूप से तीसरी और चौथी पीढ़ी की शाखाओं पर आते हैं। पहली और दूसरी पीढ़ी की शाखाओं पर सामान्यतः केवल नर फूल बनते हैं, जबकि तीसरी और चौथी पीढ़ी की शाखाओं पर मादा फूल विकसित होते हैं। लता वर्गीय फसलों में लौकी इसका प्रमुख उदाहरण है। लौकी में तीसरी पीढ़ी की शाखा पर हर पत्ती के नोड से एक मादा फूल की कली बनती है। इस कली को प्राप्त करने के लिए विशेष कटिंग प्रक्रिया अपनाई जाती है, जिसे थ्री-जी कटिंग कहा जाता है। इसी प्रकार चौथी पीढ़ी की शाखा पर प्रत्येक पत्ती से दो मादा फूल निकलते हैं, जिसे फोर-जी कटिंग कहा जाता है।
थ्री-जी कटिंग से पौधे की हर पत्ती से एक फल प्राप्त होता है, जबकि फोर-जी कटिंग से हर पत्ती पर दो लौकी के फल मिलने की संभावना रहती है। इस तकनीक को अपनाकर उत्पादन में कई गुना वृद्धि की जा सकती है, जिससे कम क्षेत्र में अधिक उपज प्राप्त होती है।
हुमनी गंध रसायन


हुमनी (व्हाइट ग्रब्स) एक ऐसा हानिकारक कीट है जो कच्चे गोबर के ढेर (घूरा, उकिरड़ा) में अधिक पाया जाता है। यह कीट पौधों की जड़ों और तनों को कुंद देता है तथा मूंगफली जैसे बीजों को भी खा जाता है। महाराष्ट्र के गन्ना उत्पादक किसान और गुजरात के मूंगफली किसान इस कीट से काफी परेशान रहते हैं। इसके नियंत्रण के लिए टीसीबीटी कृषि विज्ञान द्वारा एक विशेष गंध-आधारित रसायन फार्मूला किसानों को उपलब्ध कराया जा रहा है। इस घोल को मटके में भरकर जून–जुलाई के समय खेतों की मेड़ों पर हल्के घास-फूस के बीच छिपाकर रखा जाए। इस अवधि में निकलने वाली हुमनी की मादा अंडे देने के लिए इस घोल में आकर्षित होकर प्रवेश करती है और उसमें डूबकर मर जाती है। इस प्रकार बिना रसायन छिड़काव के खेत हानिकारक कीटों से सुरक्षित रखे जा सकते हैं।
सभी सामग्री—10 लीटर पानी, 2 किलो कुचल एरंड के बीज, 100 ग्राम यीस्ट, 500 ग्राम बेसन और 500 मिली छाछ—को मिलाकर 24 से 48 घंटे फर्मेंट होने दें। इसके बाद छोटे-छोटे मटके लें और प्रत्येक मटके में 5 लीटर पानी डालें। फर्मेंट किए हुए घोल को हर मटके में 1 लीटर के हिसाब से डालकर खेत में पेड़ों के नीचे, प्रति एकड़ 10 मटके के हिसाब से अलग-अलग स्थानों पर रखें। इस घोल की गंध से मादा व्हाइट ग्रब्स आकर्षित होकर इसमें प्रवेश करती है और मर जाती है, जिससे कीट नियंत्रित होता है।
नोट: यह कार्य पहली बारिश के तुरंत बाद करना चाहिए।
फफूँद भक्षक घोल
मित्र फफँूद का घोल
जड़ों के फं गस को रोकने का प्रभावी उपाय
बनाने की विधि
- 200 लीटर पानी में 200 ग्राम गुड़ मिलाएँ , फिर इसमें 1 किलो राह ट्राई फफूँ दभक्षक मिलाएं , 3 दिन तक फरमेंट होने दें।
अगले 1 माह तक 3 बार प्रयोग कर लें :-
जिन फसलों या पौधों की जड़ों में फंगस (फाइटोप्थेरा, पिथियम, अल्टरनेरिया, राइजोक्टोनिया आदि) है, उनकी जड़ों के पास सबसे पहले TCBT पद्धति का ऊर्जा जल डालें।
4 दिन बाद उसी जगह फफूँद भक्षक घोल डालें।
बड़े पेड़ होने पर जड़ों के पास छेद करके ऊर्जा जल डालें, फिर 4 दिन बाद उसी जगह फफूँद भक्षक घोल डालें।
15 दिन बाद यह प्रक्रिया पुनः दोहराएं।
जमीन में हर अमावस्या को प्रति एकड़ 200 लीटर घोल डालें।
एक ही वर्ष में इसे 5–6 बार दोहराएं।
भूमि में फंगस खत्म होने के बाद इस घोल को डालने की आवश्यकता समाप्त हो जाती है।
फफूंद उपचार किट
फसलों में फफं द जनित बीमार ू ियों को समाप्त करने के लिए निम्न तीन चरणों में समाधान अपनाए
प्रथम चरण
- 200 लीटर पानी में 50 ग्राम ऊर्जा भस्म और 200 ग्राम अग्निहोत्र भस्म मिलाएं, मिश्रण को अच्छे से घोलकर छान लें और फसलों पर स्प्रे करें। इसके बाद अगले दिन द्वितीय चरण अपनाएं।
द्वितीय चरण
- 200 लीटर पानी में 200 ग्राम फफूं द रोधी भस्म और 100 ग्राम प्राण शक्ति ऊर्जा भस्म को मिलाकर फसलों पर स्प करंे।
ततीय चरण ृ
1 किलो राह ट्राई फफूँद भक्षक को 200 लीटर पानी और आधा किलो गुड़ में मिलाकर चार दिन फर्मेंट करें।
इसके बाद 200 लीटर पानी में मिलाकर पूरे पेड़ या फसल में पत्तों से लेकर जड़ तक अच्छे से स्प्रे करें; इस तीन चरणों में अधिकांश फफूँद जनित बीमारियां समाप्त हो जाएंगी।
कीट भक्षक घोल
विधि :
1) TCBT app या RAH FPO से कीट भक्षक वीबीएम 1 किलो बुलवा लें।
2) 200 लीटर पानी में आधा किलो गुड़ घोलकर 1 किलो कीट भक्षक पाउडर को मिला दें ।
3) 3-4 दिन तक फरमेन्ट होने दें।
4) 50% की दर से कीट आने के शुरुआती अवस्था में स्प करें। ्रे
5) बीमारी से बचाव की सावधानी के रूप में हर अमावस्या को सायंकाल में स्प कर सकते हैं। ्रे
6) इल्ली/ सुंडी पर तत्कालीक नियंत्रण प्राप्त करने के लिए प्रति लीटर पानी मंे 1 ml नीमधारा, 1 ml नीमबाण और स्टीकर मिलाकर फसलों पर स्प करें।
लाभ
इसमें पाए जाने वाले फं गल और इल्ली वर्गीय फफूं द कीटो को संक्रमित कर नष्ट कर देते हैं । मांसाहारी जीव से शाकाहारी कीटों को नियंत्रित करने की यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है।
उपयोग अवधि समय सीमा - 1 माह
रस चूसक कीट उपचार
फसलों में रस चूसक, इल्ली/सुंडी या कीट जनित बीमारियों को समाप्त करने के लिए निम्न तीन चरणों में समाधान अपनाएँ।
प्रथम चरण
- 200 लीटर पानी में 50 ग्राम ऊर्जा भस्म और 200 ग्राम अग्निहोत्र भस्म मिलाएँ, साथ में 100 ml नीमधारा घोल डालकर अच्छी तरह घोलें और छानकर फसलों पर स्प्रे करें। उसके बाद अगले दिन द्वितीय चरण अपनाएँ।
द्वितीय चरण
- 200 लीटर पानी में 1 किलो कीट भक्षक वीबीएम और 200 ग्राम गुड़ मिलाएँ, 2 दिन तक छोड़ दें और फिर फसलों पर स्प्रे करें।
ततीय चरण
- 5 किलो बारिक लाल मिट्टी या सफे द मिट्टी में 500 ग्राम राह नीम बाण को अच्छे से मिलाकर 200 लीटर पानी में घोले, प्रति लीटर घोल में 2 एमएल राह स्टीकर मिलाकर फसलों पर स्प करेंँ।
बीज संस्कार
विधि
(अ) सबसे पहले बीजों को 2 घण् सुबह या शाम का सू टे र्यप्रकाश दिखाएँ । रात में चंद्रमा की रौशनी भी दिखाएं ।
(ब) बीजों के साफ कमरे में ढेर बनाकर या जूट की बोरी में रखें, फिर बीजों के पास गाय के गोबर के कण्डे जलाकर सुगंधित द्रव्य डालकर धुआं करें।
(स) बीजों से निम्न तरह की प्रार्थना कर
“ हे बीज ! मैं आपको अपनी खेती की भमिू में बोने जा रहा हूँ, आपका संवर्धन करने जा रहा हूँ, कृपया आप अपनी अंकुरण शक्ति जागतृ करें, हे ईश्वर इस कार्य मे मेरी मदद करें ”
बीज शोधन के लिए निम्न प्रक्रिया अपनाएं ।
एक लीटर पानी में 5 मि.ली. राह स्वर्ण जल मिलाकर बीजों को आधे से एक घंटे तक इसमें भिगोएं। इसी पानी में प्रति लीटर 2 ग्राम चूना मिलाएँ और बीजों को पुनः भिगोएँ (नोट: दलहनी बीजों पर भिगोने के बजाय छिड़काव करें)। यदि खेत में मिट्टी में फंगस की समस्या हो, तो रजत जल का स्प्रे करें; कीटों की समस्या हो तो बीजों पर नीमबाण की कोटिंग करें। तत्पश्चात राह भूमिराजा छिड़काव कर बुवाई करें।
भूमि जल
हर अमावस्या और पूर्णिमा को 200 ग्राम अग्निहोत्र भस्म और 200 ग्राम फिटकरी को 10 लीटर पानी में मिलाएँ, फिर 10 लीटर साफ-सुथरा या उबाला हुआ गौमूत्र डालकर कुँआ या ट्यूबवेल में डालें। इसे 5–6 माह तक दोहराएँ। इससे जमीन के अंदर जलस्त्रोत (झिर) खुल जाते हैं और जल की उपलब्धि बढ़ती है।
मीठा जल
हर एकादशी को सुबह 2 लीटर देशी गाय का कच्चा दधू पानी कुँआ/ट्यूबवेल में डालें, फिर शाम को 5 लीटर मीठा जव रसायन (TCBT विधि) को 10 लीटर पानी में मिलाकर उसी कुँआ/ट्यूबवेल में डालें। इसे 5–6 माह तक दोहराएँ, जिससे खारा और कड़वा पानी मीठा हो जाता है।
गन्ध- चिकित्सा

“सुगन्धिम पुष्टि वर्धनम” वायु को शुद्ध सुगन्धित करने का उपाय
विधि
- सभी सामग्री को एक डिब्बे में बंद करके रख दें। गोबर के कंडे को धीरे-धीरे सुगंधित औषधियों के साथ जलाकर उसकी गंध में बदलने की प्रक्रिया को गंध चिकित्सा कहते हैं।
- गन्ध चिकित्सा करते समय थोड़ी-थोड़ी सामग्री जलते हुए कं डों पर डालें और खेत में चारों ओर घमाएँ ।
ब्रम्ह ऊर्जा दण्ड
उपयोगिता:-
- यह मिट्टी की ऊर्जा धारण क्षमता को बढ़ाता है, पत्तियों को चौड़ा और कड़क करता है। फसलों को तापमान असंतुलन से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है।
बनाने की सामग्री:-
- 20 फुट लम्बा बांस
- शुद्ध तांबा का लोटा या 6 इंच की कॉपर पट्टी,
- शुद्ध बिना कोटिंग के तांबे की तार
विधि:-
बांस के ऊपरी सिरे में शुद्ध तांबे का लोटा उल्टा लगाएं। इसके मुंह पर तांबे की तार बांधें और बांस के चारों ओर लपेटते हुए इसे नीचे तक ले जाएँ। बांस को जमीन में गाड़ दें और तार को जमीन से छूने तक ही रखें। एक एकड़ में इस प्रकार 20 बांस गाड़ें।
गोवर्धन सजीव खाद
20–25 किलो ताजे गाय के गोबर में 1 किलो गुड़ मिलाएँ।
1 लीटर गौमूत्र डालें।
1 किलो ज्वार, बाजरा, मक्का या चावल मिलाएँ।
1 किलो बरगद या पीपल के नीचे की मिट्टी डालें।
1 लीटर दही या 3 लीटर छाछ मिलाएँ।
सभी सामग्री को किसी छायादार पेड़ के नीचे कम ऊँचाई का ढेर बनाकर रखें।
ढेर को ताजे पत्तों से ढक दें।
पत्तों के ऊपर और आस-पास फूल रख दें।
इस गोवर्धन मिश्रण के साथ इसकी स्मृति में प्रार्थना करें।
प्रार्थना करने के बाद गोवर्धन सजीव खाद की शक्ति और बढ़ जाती है। इसके अगले तीन दिन तक प्रति दिन फू ल और पत्ते बदलते रहें। तत्पश्चात इस खाद को छांव में सुखाकर किसी बोरे में भरकर सुरक्षित रखें। इसे अब गोवर्धन सजीव खाद कहा जाएगा, जिसे आप एक साल के भीतर कभी भी प्रति एकड़ खेत में उपयोग कर सकते हैं। ध्यान रखें कि इसे जुताई से पहले खेत में डालें, ताकि खाद मिट्टी में अच्छी तरह मिल जाए और उपज के लिए सर्वोत्तम परिणाम दे।
यह खाद मिट्टी में फसल के लाभदायक जीवाणु और सूक्ष्मजीवों को बढ़ाता है, जिससे मिट्टी स्वस्थ और उपज बढ़ाने वाली बनती है।
हाई C:N रेशियो घोल

बनाने कि विधि और उपयोग
ज्यादा मात्रा में बनाना है तो उक्त सामाग्रियाें को उसी अनुपात में बढ़ाएं।
लाभ -
इस घोल को जमीन में डालने से मिट्टी में कार्बन, नाईट्रोजन की मात्रा 14:1 की दर से बढती है, फसलों की जड़ों का तेजी से विकास होता है। सिंचाई के जल में मिलाकर इस घोल को चलाने से अगली सिंचाई की अवधि बढ़ जाती है। पौधों की पत्तियां हरी कच्च हो जाती है और पत्तियों की चौड़ाई भी बढ़ जाती है। मिट्टी में जीवाणुओं की मात्रा में बहुत वृद्धि होने लगती है।
