
Tarachand Belji
वर्ष 2005 "भारत रत्न' नाना जी देशमुख के सानिध्य में चित्रकूट के 5 गांवों के समग्र ग्राम ग्राम विकास के लिए कृषि विज्ञान केंद्र,उद्यमिता विद्यापीठ,आरोग्यधाम जैसे बड़े संस्थानों के साथ सपत्नीक 3 वर्ष तक कार्य करते हुए मुझे समझ में आ गया कि समग्र ग्राम विकास का मूल मार्ग प्राकृतिक खेती है,किसान का अपना बीज हो अपना खाद हो और प्राकृतिक खेती की विधा को विकसित कर लिया जाए तो गांव की गरीबी, बीमारी, बेकारी, अशिक्षा, विवाद समाप्त किए जा सकते है, पूज्य नानाजी देशमुख के समग्र ग्राम विकास का लक्ष्य केवल इस एक प्राकृतिक खेती के माध्यम से पूर्ण किया जा सकता है।
यह ध्यान में आते ही प्राकृतिक खेती की सम्पूर्ण विद्या को समझने और विकसित करने के लिए मैने अक्टूबर 2009 में प्राकृतिक खेती शोध संस्था का गठन किया और मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिले के ग्राम खमरिया में शेड नदी के किनारे 13 एकड़ जमीन लीज पर लेकर सपरिवार यही रहते हुए खेती करना शुरू किया,भारत और भारत के बाहर जैविक प्राकृतिक खेती के विकसित मॉडल लगाए,आसपास के जिलों के जैविक खेती में रुचि रखने वाले प्रगतिशील 100 किसानों को संस्था से जोड़कर उन्हें भी प्राकृतिक खेती के प्रयोग शुरू करवाए। भारत के प्राचीन कृषि ग्रन्थों सूरपाल मुनि रचित वृक्षायुर्वेद, महर्षि परासर रचित कृषि पारासर, महर्षि परशुराम रचित कृषि गीता, महर्षि कश्यप रचित कश्यपीय कृषि सूक्त और उपवन विनोद जैसे ग्रन्थों के सूक्तों पर व्यापक प्रयोग करना शुरू किया, इसके साथ साथ जापान के फुकुओका मॉडल, जर्मनी के बायोडायनमिक एग्री मॉडल, अल्बर्ड हार्वड के जैविक खेती सिद्धांतों का मॉडल अपने खेत पर लगाए,चित्रकूट में कृषि विज्ञान केंद्र पर में रहकर आधुनिक रासायनिक खेती का अनुभव, नरसिंहपुर की अपनी खेती में काम करते हुए भारत के प्राचीन कृषि ज्ञान का अनुभव, आरोग्यधाम चित्रकूट में सीखे हुए आयुर्वेद के आसवआरिष्ट और भस्म-रसायन रस-रसायन के ज्ञान,माधवाश्रम भोपाल के अग्निहोत्र कृषि का अनुभव चिंतन, चन्द्रशेखर आजाद कृषि विश्विद्यालय के जेनेटिक्स और प्लांट ब्रीडिंग में मुख्य वैज्ञानिक डॉ रामाश्रय मिश्र जी से प्राप्त बीज विज्ञान का ज्ञान,खेत पर कार्य करते हुए जीवाणु विज्ञान के प्रयोगों ने मुझे कृषि क्षेत्र की आधारभूत सिद्धांतों समझ दिला दी, मेरे गुरुजी स्व.श्री दीपक सचदे जी का पंच महाभूतो से कृषि कार्य कराने का आग्रह शुरुआत में मुझे समझ नहीं आया किंतु अपने खेत पर काम करते हुए अपने ऊर्जा चक्र चिंतन ने मुझे पंच महाभूतों के प्रकृति निर्माण के रहस्य को सुलझा दिया।
प्राकृतिक ऊर्जा चक्र और पंचमहाभूतों (भूमि, गगन, वायु, अग्नि, नीर) के प्रकृति निर्माण विज्ञान ने मुझे मूल प्राकृतिक खेती मानक समझ में आ गए, वर्ष 2017 में गोविन्द वल्लभ पंत कृषि विश्व विद्यालय पंतनगर में एशियन एग्री हिस्ट्री फाउंडेशन के संस्थापक डॉ वाय एल नैने जी से मुलाकात और चर्चा से मुझे वृक्षायुर्वेद के गूढ़ रहस्य समझ में आए,22 से 26 फरवरी 2019 में मुझसे जुड़े 19 राज्यों के 950 किसानों को 5 दिन के लिए अपने पैतृक ग्राम कनई जिला बालाघाट मध्यप्रदेश में बुलाकर वृक्षायुर्वेद के इन रहस्यो और प्रकृति के ऊर्जा विज्ञान को विस्तार से समझाया और इसे भारत के हर ग्राम तक पहुंचाने के लिए जैविक जीवनशैली विज्ञान मिशन की स्थापना भी की,इस शिविर के बाद भारत में लॉक डाउन की अवधि प्रारंभ हो गई तब अपने पैतृक ग्राम में हो रहकर 20 एकड़ में खेती करते हुए प्रथम और द्वितीय लॉक डाउन की अवधि में मैने वृक्षायुर्वेद,कृषि परासर, सश्यवेद सूक्तों पर व्यापक प्रयोग किए,प्राकृतिक खेती के प्रवास के निमित्त गुजरात प्रवास में 19 जनवरी 2021 को सोमनाथ दर्शन के बाद जब मैने वहां के नारियल के बागो की दुर्दशा देखी तो मेरा हृदय द्रवित हो गया,किसान के खेत से ही भगवान सोमनाथ से मैने प्रार्थना की " हे भगवान इन फसलों को इस दशा से बाहर निकालने की युक्ति बताएं, रुद्राक्ष की माला से निगेटिव पॉजिटिव ऊर्जा की जांच की विद्या तो मेरे पास पहले से थी परन्तु मेरे पास मिट्टी पानी पेड़ में पंच महाभूत जांचने की विद्या नहीं थी,भगवान सोमनाथ की प्रेरणा से मैने यही से ही मिट्टी की पंच महाभूत जांचना शुरू किया,मिट्टी में भूमि तत्व गगन तत्व वायु तत्व अग्नि तत्व और नीर तत्व की स्थिति अपने इसी रुद्राक्ष की माला से जांचा, उस दिन मानो मुझे लगा कि अब पंच महाभूतो की जांच कर अब खेती की हर समस्या का हल किया जा सकता है।

इसके बाद मैने लगातार पूरे देश भर में प्रवास किया,किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए आवश्य फार्मूले बताए,रासायनिक खेती से उपजी बीमारियों के प्राकृतिक समाधान के उपाय बताए,रासायनिक खेती से कठोर और असंतुलित हो चुकी मिट्टी को स्वस्थ सजीव करने के लिए सम्पूर्ण भूमि उपचार की प्रक्रिया सिखाई।
वृक्षायुर्वेद सूक्त,ऊर्जा विज्ञान और पंच महाभूत कृषि के इन मानकों के आधार पर खेती करने वाले किसानों ने खेती की इस विद्या ताराचंद बेलजी तकनीक (TCBT) नाम से लोकप्रिय कर दिया है पर इसे मै पंच महाभूत कृषि मूल प्राकृतिक खेती कहता हूँ, इस पद्धति से किसान बिना केमिकल (यूरिया, डी. ऐ.पी., पेस्टिसाइड) डाले बेहतर उपज ले रहे है, केमिकल खेती छोड़ने के बाद एक वर्ष के अन्दर इन सब किसानों की मिट्टी मख्खन जैसी मुलायम हो रही है, प्रति वर्गफूट तीन मिट्टी खाने वाले (इण्डोजेईक) केचुऐ इनकी खेती में आने लगे है, इस पद्धति में खेती में किसी भी प्रकार बीमारी भी नहीं आती हैं, पूरे समय फसले हरि भरी स्वस्थ रहती है, उपज भी रासायनिक खेती से गैर दलहनी फसलों में दो गुना, दलहनी फसलों में तीन गुना और सब्जी वर्गीय फसलों में दस गुना तक ज्यादा उत्पादन हुआ है। हम अपने ऊर्जा विज्ञान और पंचमहाभूतों के ज्ञान से कृषि को केमिकल रसायनों से मुक्त और किसानों को स्वावलम्बी बनाने में पूर्ण सक्षम हैं, पिछले वर्षों में पूरे देश भर में 38 फसलों में मिलें रिकार्ड उत्पादन के आधार पर मैं ऐसा कह रहा हूं।
पिछले 3 वर्ष से पंच महाभूत ऊर्जा विज्ञान से प्राकृतिक खेती करने वाला कोई भी किसान असफल नहीं हुआ है। बल्कि ऐसे किसानों को रासायनिक खेती से ज्यादा उत्पादन प्राप्त हुआ है। भारत के अधिकतम राज्यों के सफल किसानों के नाम और पते आपको प्रेषित कर रहा हूँ। पिछले 20 वर्षों से प्राकृतिक खेती पर काम करते हुए मुझे जो चिंतन दर्शन प्राप्त हुआ है, वृक्षायुर्वेद के सिद्ध फार्मूले प्राप्त हुए है उन सबको आपको समर्पित कर रहा हूं,कृपया इनका लाभ उठाएं। TCBT वृक्षायुर्वेद पाठशाला में जाएं और इस पद्धति से सफल हो चुके किसानों के संपर्क में रहकर अपनी खेती सफल करें,स्वस्थ रहे,समृद्ध बने।
ताराचंद बेलजी
संस्थापक- प्राकृतिक खेती शोध संस्था ,बालाघाट
निदेशक- राह क्रॉप प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड कनई
TCBT जैविक किसान उत्पादक संगठन

